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विष सूची...4 T 365-ड ल 1. जव य स थ (POLITY) 1.1 ल कस ए व ध...

Date post: 22-Oct-2020
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    विषय सचूी

    1. राजव्यिस्था ...........................................................4

    1.1 लोकसभा एिं विधान सभाओं के एक साथ चनुाि ........... 4

    1.2. भारत के मखु्य न्यायाधीश को पद से हटाने हते ुप्रस्ताि ... 4

    1.3. ऄनसुूवचत जावत तथा ऄनसुवूचत जनजावत (ऄत्याचार

    वनिारण) ऄवधवनयम.................................................... 4

    1.4.राष्ट्रीय ऄल्पसखं्यक शैक्षवणक संस्था अयोग .................. 5

    1.5. विशेष श्रेणी राज्य का दजाा ...................................... 6

    1.6. राजस्ि िृवि के साधन के रूप में ईपकर ...................... 7

    1.7. सशस्त्र बल (विशेषावधकार) ऄवधवनयम ...................... 7

    1.8. अकांक्षी वजलों का बदलाि ..................................... 8

    1.9. राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान .................................. 9

    1.10. ऄरुणाचल प्रदशे की वि-स्तरीय पचंायती राज व्यिस्था . 9

    1.11. इ-विधान वमशन मोड पररयोजना ......................... 10

    1.12. इ-ऑफिस ...................................................... 10

    1.13. भारतीय प्रवतस्पधाा अयोग (CCI) ........................ 10

    1.14. एनुऄल सिे ऑफ़ आंवडयाज वसटी-वसस्टम्स (ASICS),

    2017 .................................................................... 11

    1.15. प्रसार भारती .................................................. 11

    1.16. िल्डा कौंवसल ऑन वसटी डाटा िारा प्रमाणन ............ 11

    1.17. विविध जानकाररयााँ .......................................... 12

    2. ऄतंरराष्ट्रीय सबंधं ................................................... 13

    2.1. ससध ुजल संवध ................................................... 13

    2.2. ऄिगावनस्तान िारा तावलबान के समक्ष शांवत प्रस्ताि .. 13

    2.3. राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) ................. 13

    2.4. क्लेररिाआसयग लॉिुल ओिरसीज यूज़ ऑफ़ डटेा एक्ट

    (क्लाईड एक्ट) ......................................................... 14

    2.5. भारत-नॉर्डडक सम्मेलन ........................................ 15

    2.6. एवशयन प्रीवमयम ............................................... 15

    2.7.ऄफ्रीकी-एवशयाइ ग्रामीण विकास संगठन .................. 16

    2.8.आंटरनेशनल रिब्यनूल िॉर द लॉ ऑफ़ द सी (ITLOS) .. 16

    2.9. UN रोड सेफ्टी िस्ट िंड ....................................... 17

    2.10. दवक्षण एवशया सहकारी पयाािरण कायाक्रम (SACEP)17

    2.11. साईथ एवशयन क्लाआमेट अईटलकु िोरम ............. 18

    2.12. आंटरनशेनल एनजी फ़ोरम ................................... 18

    2.13. आंवडया-विस्बाडने कांफ्रें स, 2018 .......................... 19

    2.14. IMF का िल्डा आकोनॉवमक अईटलुक ..................... 19

    2.15. UN ब्रॉडबैंड कमीशन िॉर सस्टेनेबल डिेलपमेंट ..... 20

    2.16. भारत की GSP पात्रता समीक्षा .......................... 21

    2.17. विदशे अया प्रदशे के िार ................................... 21

    2.18. स्टडी आन आंवडया प्रोग्राम .................................... 21

    2.19 इ- विदशेी क्षेत्रीय पजंीकरण कायाालय योजना .......... 22

    2.20 ऄभ्यास .......................................................... 22

    2.21 विविध जानकाररयााँ .......................................... 22

    3. ऄथाव्यिस्था .......................................................... 24

    3.1. भारतीय ररजिा बैंक ने GVA के स् थान पर GDP का

    ईपयोग करने का वनणाय वलया ...................................... 24

    3.2. विकासात्मक और विवनयामक नीवतयों पर िक् तव् य ..... 24

    3.3. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ............................................. 25

    3.4. ईदारीकृत विप्रषेण योजना ................................... 26

    3.5. प्राथवमकता-प्राप्त क्षेत्र के ईधार सबंंधी फदशा-वनदशे में

    पररितान ................................................................ 27

    3.6. विदशेी पोटािोवलयो वनिेश .................................. 27

    3.7. राष्ट्रीय वित्तीय सचूना प्रावधकरण ........................... 28

    3.8. ऐल्गोररदम िेसडग .............................................. 28

    3.9. स्टाटा-ऄप एजंल टैक्स स ेछूट मांग सकत ेहैं ................ 29

    3.10. नीवत अयोग िारा कृवष हतेु न् यनूतम समथान मूल् य

    मॉडल ................................................................... 29

    3.11. पोषक तत्ि अधाररत सवब्सडी योजना .................. 30

    3.12. एकीकृत सािाजवनक वितरण प्रणाली प्रबंधन (IM-

    PDS) ................................................................... 31

    3.13. वसटी कम्पोस्ट योजना ....................................... 31

    3.14. परम् परागत कृवष विकास योजना ......................... 31

    3.15. राष्ट्रीय बासं वमशन ........................................... 32

    3.16. ईत्तर-पूिा औद्योवगक विकास योजना (NEIDS),

    2017 ................................................................... 33

    3.17. ग्रामीण विदु्यतीकरण ........................................ 33

    3.18. ईन्नवत प्रोजेक्ट ................................................ 34

    3.19. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ............................. 34

    3.20. कोल बेड मीथेन ............................................... 35

    3.21. सोलर रूिटॉप आन्िेस्टमेंट प्रोग्राम ........................ 36

    3.22. सकल विदु्यत् खरीद हतेु पायलट योजना ............... 36

    3.23. प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साहन योजना ................... 37

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    3.24. ग्लोबल िाआंडके्स ररपोटा 2017 ........................... 37

    3.25. उजाा सकं्रमण सचूकांक ....................................... 37

    3.26. अर्डथक स्िततं्रता सचूकांक .................................. 38

    3.27. प्रोजेक्ट जल सचंय ............................................ 38

    3.28. ग्लोबल आनोिशेन आंडके्स .................................... 39

    3.29 मेंटर आंवडया ..................................................... 39

    3.30. विविध जानकाररयााँ .......................................... 39

    3.31. त्रुरट-सुधार ..................................................... 40

    4. पयाािरण ............................................................. 42

    4.1. ऄंतरााष्ट्रीय सौर गठबंधन ....................................... 42

    4.2. सोलर वजयो-आंजीवनयररग .................................... 42

    4.3. ग्लोबल कमीशन ऑन द वजयोपोवलरटक्स ऑफ़ एनजी

    िांसिॉमेशन ............................................................ 43

    4.4. राष्ट्रीय इ-मोवबवलटी कायाक्रम ................................ 43

    4.5. रेत खनन .......................................................... 43

    4.6. ब्राज़ाविल घोषणा ............................................. 45

    4.7. कंजिेशन ऄस्योडा | टाआगर स्टैंडर्डसा : CA|TS ........... 47

    4.8 काजीरंगा राष्ट्रीय ईद्यान में गैंडों की जनसखं्या में िृवि ... 47

    4.9 भारतीय पश ुकल्याण बोडा ..................................... 48

    4.10 WWF का िन प्लनैेट िन वसटी चैलेंज .................... 48

    4.11 8िीं क्षेत्रीय 3R िोरम ........................................ 49

    4.12. स्थायी काबावनक प्रदषूक ..................................... 50

    4.13. इ-कचरा (प्रबंधन) संशोधन वनयम, 2018............... 50

    4.14. जैि-वचफकत्सा ऄपवशष्ट प्रबंधन वनयम, 2018 ......... 52

    4.15. प्लावस्टक ऄपवशष्ट प्रबंधन (संशोधन) वनयम, 2018... 54

    4.16. राष्ट्रीय बायोगैस एि ंखाद प्रबंधन कायाक्रम .............. 54

    4.17 लोकटक झील पर तैरती हुइ प्रयोगशाला .................. 55

    4.18 जलिायु ऄनुकूल कृवष ......................................... 55

    4.19 भूकंप प्रिण भारतीय शहर ................................... 56

    4.20 भारत में िनावि और ईसका प्रबंधन ........................ 57

    4.21. रीजनल आंटीगे्रटेड मल्टी-हज़ैडा ऄली िार्ननग वसस्टम ... 58

    4.22 स्िेल तरंगें ....................................................... 58

    4.23. पविमी घाट में विश्व का सबसे छोटे भूवम िना की खोज59

    4.24 ररपोटास ......................................................... 59

    4.25 विविध जानकाररयााँ ........................................... 60

    4.26 त्रुरट-सुधार ...................................................... 60

    5. विज्ञान एि ंप्रौद्योवगकी ............................................ 61

    5.1. इ-वसगरेट ........................................................ 61

    5.2. सहायक प्रजनन तकनीक (विवनयमन) विधेयक .......... 61

    5.3. प्रोजेक्ट धूप ...................................................... 61

    5.4. ऄथा बायो-जीनोम प्रोजेक्ट ................................... 62

    5.5. भोजन का विफकरण प्रसंस्करण .............................. 63

    5.6. िोसकोररस प्रणाली ........................................... 63

    5.7. आंटरस् टीवशयम .................................................. 64

    5.8. वडजीज ‘X’ ...................................................... 64

    5.9. मोबाआल एजंाआम सलक्ड आम्यूनोसॉबेंट ऄस े............... 65

    5.10. ऑक्सीटोवसन पर प्रवतबंध .................................. 65

    5.11. IRNSS-1I ईपग्रह .......................................... 65

    5.12. जीसैट- 6A .................................................... 66

    5.13. साईंसडग रॉकेट: RH-300 MKII ......................... 66

    5.14. ऄत्यवधक कम रेंज की िाय ुरक्षा प्रणावलयााँ ............. 67

    5.15. अआंस्टीन ररग (िलय) ....................................... 67

    5.16. कोपरवनकस कायाक्रम ........................................ 68

    5.17. एयर-ब्रीसथग आलेवक्िक थ्रस्टर ............................ 68

    5.18. स्टीफ़न हॉककग ................................................ 68

    5.19. माआक्रो-LED : ऄगली-पीढ़ी की वडस्प्ले तकनीक ...... 70

    5.20. शीत सलंयन ररएक्टर ....................................... 71

    5.21. िैटेराआट (VATERITE) - पौधों में दलुाभ खवनज ..... 71

    5.22. गैलीनीन ....................................................... 72

    5.23. ररडबगा पोलरॉन्स: पदाथा की एक नइ ऄिस्था.......... 72

    5.24.िैज्ञावनकों न ेपथृ्िी पर दलुाभ 'अआस-VII' की खोज की 72

    5.25. मालियेर....................................................... 73

    5.26. डटेा एवन्क्रप्शन ................................................ 73

    5.27. िैध मुद्रा के रूप में फक्रप्टो करेंसी ........................... 74

    5.28. भारत का पहला ब्लॉक-चेन अधाररत नेटिका .......... 74

    5.29. रक्षा वनयोजन सवमवत ....................................... 75

    5.30. रक्षा औद्योवगक गवलयारा .................................. 75

    5.31. संरवक्षत क्षेत्र परवमट ......................................... 76

    5.32. िामपंथी ऄवतिाद (चरमपंथ): LWE .................... 76

    5.33. न्यूटन-भाभा िंड ............................................. 78

    5.34. आंवडयन साआंस टेक्नोलॉजी एंड आंजीवनयररग

    िैवसवलटीज मैप (I-STEM)........................................ 79

    5.35. राष्ट्रीय अभासी पुस्तकालय ................................ 79

    5.36. विविध जानकाररयााँ ......................................... 80

    6. सामावजक ............................................................ 81

    6.1.राष्ट्रीय ईच्चतर वशक्षा ऄवभयान ............................... 81

    6.2. NIRF आंवडया रैंककग -2018 ................................ 81

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    6.3.सस्टेनबेल एक्शन िॉर िासंिॉर्नमग ह्यूमन कैवपटल आन

    एजकेुशन (SATH-E) प्रोजेक्ट ...................................... 82

    6.4. ईन्नत भारत ऄवभयान 2.0 .................................... 82

    6.5. नेशनल एकेडवमक वडपॉवजटरी ............................... 83

    6.6. बाल वििाह में तीव्र कमी ...................................... 83

    6.7. मात,ृ निजात और बाल स्िास्थ्य के वलए साझेदारी

    िोरम..................................................................... 84

    6.8.लक्ष्य कायाक्रम .................................................... 85

    6.9. सुविधा ............................................................ 85

    6.10. सलग भेद्यता सचूकाकं ........................................ 85

    6.11. मवहलाओं की वस्थवत पर संयुक्त राष्ट्र अयोग ............. 86

    6.12. मवहला ईद्यवमता प्लेटिॉमा ................................. 86

    6.13. िन धन योजना ................................................ 87

    6.14.ग्राम स्िराज ऄवभयान ........................................ 87

    6.15. वनवरक्रय आच्छामृत्य ु........................................... 88

    6.16. िल्डा हपै्पीनेस ररपोटा, 2018 ............................... 88

    7. ससं्कृवत ............................................................... 90

    7.1. मधुबनी वचत्रकला............................................... 90

    7.2. सौरा वचत्रकला .................................................. 90

    7.3. कोणाका मंफदर .................................................... 91

    7.4. कुवथयोट्टम ........................................................ 92

    7.5. माधिपुर मलेा ................................................... 92

    7.6. अफदलाबाद डोकरा और िारंगल दररयााँ ................... 93

    7.7. के्रम पुरी गिुाए ं.................................................. 93

    7.8. ऄतलु्य भारत 2.0 ऄवभयान .................................. 93

    7.9. राष्ट्रीय पांडुवलवप वमशन ....................................... 94

    7.10. अदशा स्मारक .................................................. 94

    7.11. दीनदयाल हस्तकला संकुल .................................. 94

    7.12. भारतीय आवतहास ऄनुसंधान पररषद ्सम्मलेन .......... 95

    7.13. राष्ट्रीय संस्कृवत वनवध ......................................... 95

    7.14. विश्व धरोहर स्थल ............................................ 95

    7.15. यूनेस्को एटलस ऑफ़ दी िल्र्डसा लैंग्िजेजे आन डेंजर ..... 96

    7.16. विविध जानकाररयााँ .......................................... 97

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    1. राजव्यिस्था

    (POLITY)

    1.1 लोकसभा एि ंविधान सभाओं के एक साथ चनुाि

    (Simultaneous Elections)

    सरु्डखयों में क्यों?

    हाल ही में, विवध अयोग ने लोकसभा एिं विधान सभाओं के एक साथ चनुाि करान ेसे सम्बंवधत ड्राफ्ट िर्ककग पेपर जारी फकया।

    एक साथ चनुाि (SE) स ेसम्बवंधत तथ्य

    एक साथ चुनाि कराने का अशय भारतीय चनुाि चक्र को आस प्रकार संरवचत करना ह ै फक लोकसभा एिं राज्य विधानसभाओं के

    चुनाि एक ही समय में हों तथा फकसी विवशर ट वनिााचन क्षते्र के मतदाता राज्य विधानसभा और लोकसभा, दोनों के वलए एक ही फदन

    मतदान करें।

    आसका ऄथा यह नहीं ह ैफक दशेभर में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के वलए एक ही फदन मतदान फकया जाना अिश्यक है।

    ऄतीत में, 1967 तक भारत में एक साथ चनुाि अयोवजत फकय ेजात ेथे, फकन्तु ये विधानसभाओं के समय पिूा विघटन के कारण बावधत

    हो गए।

    लोकतंत्र के तृतीय स् तर के चुनाि एक साथ होने िाले चुनािों में सवम्मवलत नहीं फकया जा सकते क्योंफक -

    o यह राज्य सूची का विषय ह।ै

    o स्थानीय वनकायों की संख्या ऄत्यवधक ह।ै

    1.2. भारत के मखु्य न्यायाधीश को पद स ेहटान ेहते ुप्रस्ताि

    (Motion For Removal Of Chief Justice Of India)

    सरु्डखयों में क्यों?

    हाल ही में, राज्यसभा के सभापवत ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताि को स्िीकार करने से मना कर फदया।

    सिोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर महावभयोग की प्रफक्रया

    संविधान के ऄनचु्छेद 124(4) में मुख्य न्यायाधीश को हटाने की प्रफक्रया का ईल्लेख फकया गया ह ैऔर आसकी व्याख्या न्यायाधीश

    (जांच) ऄवधवनयम, 1968 में की गइ है।

    फकसी न् यायाधीश को पद से केिल "वसि कदाचार या ऄक्षमता" के अधार पर हटाया जा सकता ह।ै यद्यवप कदाचार और ऄक्षमता को

    पररभावषत नहीं फकया गया है, तथावप आसमें फकसी भी प्रकार की अपरावधक गवतविवध या ऄन्य ऄथिा न्यावयक ऄयोग्यता सवम्मवलत

    हो सकते हैं।

    न्यायाधीश के विरुि महावभयोग प्रस्ताि संसद के फकसी भी सदन में रखा जा सकता ह।ै आस प्रस्ताि को लोकसभा ऄध्यक्ष िारा या

    राज्यसभा के सभापवत िारा केिल ईस वस्थवत में स्िीकृत (या वनरस्त) फकया जा सकता है; जब आसे लोकसभा में 100 सांसदों का

    समथान ऄथिा राज्यसभा में 50 सांसदों का समथान प्राप् त हो।

    ऄध्यक्ष/सभापवत को प्रस् ताि स् िीकृत करने या वनरस्त करने का ऄवधकार होता ह।ै यफद प्रस्ताि स्िीकृत फकया जाता ह ैतो अरोपों की

    जांच करने के वलए तीन सदस्यीय सवमवत गरठत की जाती है। आस सवमवत में सिोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, फकसी भी ईच्च न्यायालय

    के मुख्य न्यायाधीश एिं लोकसभा ऄध्यक्ष/राज्य सभा के सभापवत िारा मनोनीत प्रवतवित न् यायविद ्सवम्मवलत होते हैं।

    यह सवमवत ऄपनी ररपोटा लोकसभा ऄध्यक्ष/राज्य सभा के सभापवत को प्रस्तुत करती है, जो आसे ऄन्य सदन के साथ साझा करते हैं।

    तत्पिात दोनों सदनों िारा संबंवधत सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत और मतदान करने िाले सदस्यों के दो वतहाइ बहुमत िारा

    समर्डथत प्रस्ताि को राष्ट्रपवत के समक्ष प्रस्तुत फकया जाता ह।ै

    दोनों सदनों िारा पाररत समािेदन प्राप्त करने के बाद राष्ट्रपवत, न्यायाधीश को पद से हटाये जाने का अदशे जारी कर सकते हैं।

    1.3. ऄनसुवूचत जावत तथा ऄनसुवूचत जनजावत (ऄत्याचार वनिारण) ऄवधवनयम

    (Scheduled Castes And The Scheduled Tribes (Prevention Of Atrocities) Act)

    सरु्डियों में क्यों?

    हाल ही में, सिोच्च न्यायालय के वनदशेों के कारण ऄनुसूवचत जावत तथा ऄनुसूवचत जनजावत (ऄत्याचार वनिारण) ऄवधवनयम, 1989 चचाा

    में रहा।

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    ऄनसुवूचत जावत तथा ऄनसुवूचत जनजावत (ऄत्याचार वनिारण) ऄवधवनयम, 1989

    यह ऄनुसूवचत जावत तथा जनजावत के सदस्यों के विरुि ऄत्याचारों का वनषेध करता है, तथा ऐसे ऄपराधों की सुनिाइ तथा पीवड़तों

    के पुनिाास हतेु विशेष न्यायालयों की स्थापना करता है।

    यह गैर-ऄनुसूवचत जावत/जनजावत सदस्यों िारा SC/ST के सदस्यों के विरुि फकये जाने िाले ईन कृत्यों को रेखांफकत करता ह ैवजन्हें

    ऄपराध के रूप में माना जायेगा।

    आस ऄवधवनयम में यह स्पष्ट फकया गया ह ै फक एक गैर-ऄनुसूवचत जावत / जनजावत समूह से सम्बंवधत लोक सेिक यफद SC/ST स े

    संबंवधत ऄपने कताव्यों में फढलाइ बरतता ह ैतो यह दण्डनीय होगा।

    SC/ST ऄवधवनयम के ऄंतगात फकए गए फकसी ऄपराध की जााँच, पुवलस ईपाधीक्षक (DSP) से नीचे के स्तर का ऄवधकारी नहीं कर

    सकता।

    कुछ विवशष्ट ऄपराधों के वलए ऄवधवनयम में मृत्युदण्ड तथा संपवत्त जब्त करने का भी प्रािधान है। आस ऄवधवनयम के ऄंतगात शावमल

    ऄपराधों के दोहराए जाने पर और ऄवधक कठोर दंड की भी व्यिस्था ह।ै

    'पीवड़त व्यवक्त तथा गिाहों के ऄवधकार’ हतेु नया ऄध्याय जोड़ने, लोक ऄपराध की जानबझूकर कर की गइ फढलाइ'को पररभावषत करन े

    तथा नए ऄपराध जोड़ने हतेु ऄवधवनयम को 2015 में संशोवधत फकया गया।

    सबंवंधत वििरण

    आस ऄत्याचार वनिारण ऄवधवनयम के ऄंतगात दज़ा की गयी एक वशकायत यावचका पर सिोच्च न्यायालय ने प्रफक्रयात्मक सुरक्षा ईपायों

    की अिश्यकता का ऄनुभि फकया तथा सुभाष महाजन बनाम महाराष्ट्र राज्य िाद में ऄत्याचार वनिारण ऄवधवनयम के सम्बन्ध में

    वनम्नवलवखत वनदशे ज़ारी फकए:

    o ऄत्याचार वनिारण ऄवधवनयम के ऄंतगात दज़ा वशकायत में यफद प्रथम दषृ्टया कोइ मामला न बनता हो या न्यावयक संिीक्षा के

    ईपरांत वशकायत प्रथम दषृ्टया दभुाािनापूणा प्रतीत होती हो तो ऐसी वस्थवत में ऄवग्रम जमानत पणूातः प्रवतबवंधत नहीं होगी।

    o ऄत्याचार वनिारण ऄवधवनयम के प्रकरणों में वगरफ़्तारी के क़ाननू के ज्ञात दरुुपयोग पाए जाने के कारण, ऄब फकसी लोक सिेक

    की वगरफ़्तारी वनयोक्ता ऄवधकारी की स्िीकृवत (पूिा स्िीकृवत) के पिात तथा गैर-लोकसेिक की वगरफ़्तारी, िररि पुवलस

    ऄधीक्षक की ऄनुमवत के पिात की जा सकती ह।ै यह ऄनुमवत अिश्यक समझे जाने िाले प्रकरणों में दी जा सकती है, और

    मवजस्िेट के वलए वहरासत की ऄिवध बढ़ाये जाने हेतु ऐसे कारणों की संिीक्षा करना अिश्यक है।

    o झूठी संवलप्तता से फकसी वनदोष के बचाि के वलए पुवलस ईपाधीक्षक िारा प्राथवमक जााँच की जा सकती ह ैताफक यह सुवनवित

    फकया जा सके फक िास्ति में लगाए गए अरोप ऄत्याचार वनिारण ऄवधवनयम के दायरे में अते भी हैं या नहीं और कहीं ये

    दभुाािनापूणा या ऄवभप्रेररत तो नहीं हैं।

    o ईपयुाक्त वनदशेों के फकसी भी ईल्लंघन के विरुि कारािाइ की जाएगी जो ऄनुशासनात्मक कारािाइ से लेकर ऄिमानना के वलए

    फदए जाने िाले दंड तक कुछ भी हो सकती ह।ै

    तत्पिात, कें द्र ने ऄत्याचार वनिारण ऄवधवनयम के तहत दायर की गयी वशकायत पर सिोच्च न्यायालय के स्ितः वगरफ़्तारी को रोकन े

    संबंधी वनणाय के विरुि ऄपील की, फकन्तु सिोच्च न्यायालय ने ऄपने वनणाय को यथाित बनाए रखा।

    1.4.राष्ट्रीय ऄल्पसखं्यक शकै्षवणक ससं्था अयोग

    (National Commission for Minority Education Institutions)

    सवुखयों में क्यों?

    हाल ही में, ईच्चतम न्यायालय ने कहा फक राष्ट्रीय ऄल्पसंख्यक शैक्षवणक संस्था अयोग (NCMEI) को फकसी भी संस्थान को एक ऄल्पसंख्यक

    वशक्षा संस्थान का दजाा प्रदान करने की मूल क्षते्रावधकाररता प्राप्त ह।ै

    NCMEI स ेसम्बवंधत तथ्य

    मानि संसाधन विकास मंत्रालय के ऄंतगात NCMEI की स्थापना, 2004 में जारी एक ऄध्यादशे के तहत की गयी थी वजसे कालांतर

    में NCMEI ऄवधवनयम िारा प्रवतस्थावपत कर फदया गया।

    आस अयोग में एक ऄध्यक्ष तथा तीन ऄन्य सदस्य होते हैं; वजसमें

    o ऄध्यक्ष को ईच्च न्यायालय का न्यायाधीश होना चावहए तथा िह फकसी ऄल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखता हो।

    o सदस्य भी ऄल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखते हों तथा प्रवतिा, क्षमता एिं सत्यवनिा िाले व्यवक्त हों।

    कें द्र सरकार ने छह ऄल्पसंख्यक समुदायों को ऄवधसूवचत फकया है, जो फक मुवस्लम, इसाइ, वसख, बौि, पारसी ि जैन हैं। हालांफक

    अज तक फकसी भाषाइ ऄल्पसंख्यक को ऄवधसूवचत नहीं फकया गया ह।ै

    आसवलए भाषाइ ऄल्पसंख्यक, अयोग के क्षेत्रावधकार से बाहर हैं।

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    अयोग एक ऄधा-न्यावयक प्रावधकरण ह ैवजसे एक वसविल न्यायालय के ऄवधकार प्रदान फकये गये हैं।

    अयोग िारा फदए गए फकसी भी वनणाय के सम्बन्ध में फकसी िाद, अिेदन या कायािाही पर विचार केिल संविधान के ऄनुच्छेद 226 ि

    227 के तहत ईच्च न्यायालय तथा ऄनुच्छेद 32 के तहत सिोच्च न्यायालय की ररट क्षते्रावधकाररता के ऄंतगात फकया जा सकता ह।ै

    अयोग, ऄवधवनणायात्मक तथा ऄनशुंसात्मक काया करता है। जैसे:

    o आसे वनर्ददष्ट ऄल्पसंख्यकों के शैवक्षक ऄवधकारों से संबंवधत फकसी भी मामले पर कें द्र सरकार तथा राज्य सरकारों को परामशा दनेा।

    o ऄपनी पसंद के शैक्षवणक संस्थान की स्थापना करने तथा ईसके प्रशासन के ऄल्पसंख्यकों के ऄवधकार के ईल्लंघन या ईससे िंवचत

    फकये जाने के सम्बन्ध में फकसी ऄल्पसंख्यक संस्थान िारा प्रस्तुत की गयी यावचका पर या स्ितः संज्ञान (सुओ मोटो) से या संस्थान

    की ओर से फकसी व्यवक्त िारा की गयी वशकायत पर ऄथिा फकसी विश्वविद्यालय की संबिता से संबंवधत फकसी वििाद की जाचं

    करना।

    o ऄल्पसंख्यकों के शैवक्षक ऄवधकारों की सुरक्षा के वलए संविधान िारा या ईसके तहत, ऄथिा कुछ समय के वलए लागू फकसी कानून

    िारा प्रदान फकये गये सुरक्षा ईपायों की समीक्षा करना तथा ईनके प्रभािी कायाान्ियन के ईपायों की ऄनुशंसा करना।

    o ऄल्पसंख्यक प्रवस्थवत तथा ऄल्पसंख्यकों िारा स्थावपत ईनकी पसंद के संस्थानों को प्रोत्सावहत एिं संरवक्षत करने के ईपायों को

    वनर्ददष्ट करना।

    o ऄल्पसंख्यक शैक्षवणक संस्थानों से संबंवधत कायाक्रमों तथा योजनाओं के प्रभािी कायाान्ियन के वलए ईपयुक्त सरकार को

    ऄनशुसंाएं प्रदान करना।

    अयोग को ईन मामलों में ऄपीलीय क्षेत्रावधकार भी फदया गया है जहां राज्य सरकार ने ऄल्पसंख्यक संस्थान को स्थावपत करने के वलए

    NOC प्रदान करने से मना कर फदया हो।

    1.5. विशषे श्रणेी राज्य का दजाा

    (Special Category Status - SCS)

    सरु्डियों में क्यों?

    हाल ही में, अंध्र प्रदशे के सांसदों िारा राज्य के वलए विशेष श्रेणी के दजे (SCS) की मांग की गयी, वजसे कें द्र िारा ऄस्िीकृत कर फदया

    गया।

    SCS क्या ह?ै

    संविधान में फकसी राज्य को विशेष श्रेणी राज्य का दजाा प्रदान करने से संबंवधत कोइ प्रािधान सवम्मवलत नहीं फकया गया ह।ै

    विशेष श्रेणी राज्य की ऄिधारणा सिाप्रथम 1969 में गाडवगल फ़ॉमूाले के अधार पर 5िें वित्त अयोग िारा लागू की गयी थी।

    समकालीन अिश्यकताओं के ऄनुरूप आस िॉमूाले को कइ बार संशोवधत भी फकया गया।

    1991 में ऄपनाये गए गाडवगल-मुखजी िामूाले का प्रयोग 14िें वित्त अयोग तक फकया गया। आसके तहत राज्यों को वनवधयों का

    अिंटन वनम्नवलवखत अधारों पर फकया जाता था :

    o जनसंख्या - 60%

    o प्रवत व्यवक्त अय - 25% (विचलन विवध - 20% एिं दरूी विवध - 5%)

    o कर पिवतयों में प्रदशान, राष्ट्रीय ईद्देश्य के संबंध में राजकोषीय प्रबंधन एिं प्रगवत - 7.5%

    o विशेष समस्याएं - 7.5%

    नीवत अयोग (वजसने योजना अयोग को प्रवतस्थावपत कर फदया ह)ै को वनवधयों के अिटंन के सन्दभा में कोइ शवक्त प्राप् त नहीं ह।ै ऄतः

    केन्द्र के पास ऄब िह विशेषावधकार नहीं रहा वजसके ऄंतगात िह पहले राज् यों को योजना पैनल (प्लान पैनल ) के माध्यम से विशेष

    दजाा प्रदान करने में सक्षम था।

    गाडवगल िामूाला – 1969 में विकवसत फकये गये आस िामूाले का नाम योजना अयोग के तत्कालीन ईपाध्यक्ष धनंजय रामचंद्र गाडवगल के

    नाम पर रखा गया था।

    आस िॉमूाले के मुख्य सबद ुवनम्नवलवखत थे -

    विशेष श्रेणी के राज्यों जैसे ऄसम, जम्मू एिं कश्मीर तथा नागालैंड को कें द्र िारा वनवधयों के अिंटन में िरीयता दी जाए।

    कें द्रीय सहायता के शेष ऄंश को ऄन्य राज्यों के मध्य विविध मानदडंों पर वनर्ददष्ट भाररता के ऄनुसार विभावजत फकया जा सकता है,

    जैसे -

    o जनसंख्या [60%]

    o प्रवत व्यवक्त अय [10%]

    o कर प्रयास [10%]

    o जारी ससचाइ एिं विद्युत पररयोजनाएं [10%]

    o विशेष समस्याएाँ [10%]

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    (गाडवगल िॉमूाले के ईपयुाक्त मानदडंों को चौथी एिं पांचिीं पंचिषीय योजनाओं के ऄंतगात ऄपनाया गया जबफक गाडवगल-मुखजी िामूाले

    को 8िीं पंचिषीय योजना में अिंटन का अधार बनाया गया था।)

    14िें वित्त अयोग की वसिाररशें

    अयोग ने राज्यों को सामान्य राज्यों या विशेष श्रेणी के राज्यों में िगीकृत नहीं फकया ह ैक्योंफक यह आसके ऄवधकार क्षेत्र से बाहर है।

    आसके बजाय यह सुझाि फदया गया फक प्रत्येक राज्य के संसाधन ऄन्तराल को 'कर ऄतंरण' से समाप्त फकया जाए। आसके वलए कें द्र से

    राज्यों को प्रदान फकये जाने िाले कर राजस्ि के वहस्से को 32% से बढाकर 42% तक करने की ऄनुशंसा की गयी ह।ै

    अयोग के ऄनुसार यफद कुछ राज्यों के ऄन्तराल को ऄंतरण िारा पूरा फकया जाना संभि नहीं ह ैतो कें द्र आन राज्यों को राजस्ि घाटा

    ऄनदुान प्रदान कर सकता है।

    1.6. राजस्ि िवृि के साधन के रूप में ईपकर

    (CESS as a Revenue Raising Tool)

    सरु्डियों में क्यों?

    निगरठत 15िें वित्त अयोग से यह ऄपेक्षा की जा रही ह ैफक िह ऄवधभार (सरचाजा) तथा ईपकर (सेस) के ईपयोग की िैधता पर ऄध्ययन

    अरम्भ करे।

    ईपकर वििादस्पद क्यों?

    कें द्र के वलए कर राजस्ि की प्रवतशतता के रूप में ऄवधभार तथा ईपकर के ऄंश में विगत कुछ िषों में िृवि होती रही है।

    ये दोनों ही कर, भारत की संवचत वनवध में जमा फकये जाते हैं और विभाज्य पलू का भाग नहीं बनते।

    सिंैधावनक प्रािधान

    ऄनचु्छेद 271 – कुछ शुल्कों और करों पर संघ के प्रयोजनों के वलए ऄवधभार- ऄनुच्छेद 269 और 270 में फकसी बात के होते हुए भी, संसद

    ईन ऄनुच्छेदों में वनर्ददष्ट शुल्कों या करों में से फकसी में फकसी भी समय संघ के प्रयोजनों के वलए ऄवधभार िारा िृवि कर सकेगी और ऐसे

    फकसी ऄवधभार के सम्पूणा अगम भारत की संवचत वनवध के भाग होंगे।

    ईपकर तथा ऄवधभार

    ईपकर ऄवधभार

    यह फकसी विवशष्ट ईद्देश्य के वलए वनधााररत फकया जाता ह।ै आसका प्रयोग फकसी भी ईद्देश्य के

    वलए फकया जा सकता ह।ै

    ईद्देश्य पूणा हो जाने पर ईपकर हटा वलए जाते हैं। ऄवधभार पर ऐसे कोइ प्रवतबंध

    नहीं हैं।

    कुल भुगतान योग्य कर पर (ऄवधशुल्क समेत) अरोवपत फकए जा सकते हैं। यद्यवप, कृवष कल्याण

    ईपकर जैसे ऄपिाद भी हो सकते हैं जो फक सकल सेिा मूल्य पर लागू फकये जाते हैं।

    सकल सेिा मूल्य पर ही लागू होता

    ह।ै

    1.7. सशस्त्र बल (विशषेावधकार) ऄवधवनयम

    [Armed Forces (Special Powers) Act (AFSPA)]

    सवुखयों में क्यों?

    हाल ही में, कें द्रीय गृह मंत्रालय ने मेघालय से सशस्त्र बल (विशेष ऄवधकार) ऄवधवनयम (AFSPA) को हटा फदया तथा ऄरुणाचल प्रदशे में

    ऄवधवनयम के ऄंतगात पुवलस स्टेशनों की संख्या कम कर दी।

    AFSPA

    सशस्त्र बल (विशेष ऄवधकार) ऄवधवनयम को िषा 1958 में भारतीय संसद िारा ऄवधवनयवमत फकया गया था। यह सशस्त्र बलों को

    ईपद्रिग्रस्त क्षेत्रों (disturbed areas) में कानून-व्यिस्था कायम करने हतेु ऄसाधारण ऄवधकार एिं स्ितंत्रता प्रदान करता ह।ै

    AFSPA “ईपद्रिग्रस्त क्षेत्रों” में तैनात सेना तथा कें द्रीय बलों को वनम्नवलवखत ऄवधकार प्रदान करता है:

    कानून का ईल्लंघन करने िाले फकसी भी व्यवक्त को जान से मारने का ऄवधकार,

    वबना फकसी िारंट के वगरफ्तार करने तथा फकसी भी पररसर की तलाशी लेने का ऄवधकार,

    कें द्र सरकार की स्िीकृवत के वबना, बलों को ऄवभयोजन तथा कानूनी मुकदमों से संरक्षण प्रदान करने का ऄवधकार।

    AFSPA की धारा 3 के ऄनुसार, आसका ईपयोग ईन स्थानों पर फकया जा सकता है जहां “नागररक शवक्त (वसविल पॉिर) की सहायता हतेु

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    सशस्त्र बलों का ईपयोग अिश्यक ह।ै”

    आसे केिल फकसी क्षेत्र को “ऄशांत” घोवषत करने के पिात ही लागू फकया जा सकता है।

    कें द्र सरकार, राज्यपाल या कें द्रशावसत प्रदशे के प्रशासक, राज्य या कें द्रशावसत प्रदशे के पूणा या अंवशक भाग को एक ऄशांत क्षेत्र के रूप में

    घोवषत कर सकते हैं।

    1.8. अकाकं्षी वजलों का बदलाि

    (Transformation of Aspirational Districts)

    सरु्डियों में क्यों?

    हाल ही में, नीवत अयोग िारा पाचं विकास क्षेत्रों में 49 संकेतकों (81 डेटा ऄंक) के प्रकावशत अंकड़ों के अधार पर अकांक्षी वजलों के वलए

    बेसलाआन रैंककग जारी की गयी है।

    ऄन्य सबंवंधत तथ्य-

    115 वजलों में से 30 वजलों का चयन नीवत अयोग िारा एिं ऄन्य 50 वजलों का चयन कें द्रीय मंत्रालयों िारा फकया गया ह।ै शेष 35

    वजलों को गृह मंत्रालय िारा िामपंथी चरमपंथ से प्रभावित (Left-Wing Extremist) वजलों के रूप में चयवनत फकया गया ह।ै

    KPIs (प्रमखु प्रदशान संकेतक) पांच वनर्ददष्ट क्षेत्रों में आनपुट, अईटपुट और अईटकम का संयोजन हैं।

    सबंवंधत निीनतम प्रगवत

    भारतीय लघ ुईद्योग विकास बैंक (SIDBI) दशे में आन अकांक्षी वजलों में से 115 वजलों में सकू्ष्म ईद्यमों को प्रोत्सावहत करने हतेु एक

    योजना लागू करने के वलए जन सेिा कें द्रों (CSC) से संबि हुअ ह।ै

    जन सेिा कें द्र (Common Services Centers)

    यह राष्ट्रीय इ-गिनेंस पररयोजना के तहत वनर्डमत एक सूचना और संचार प्रौद्योवगकी ऄवभगम कें द्र (ICT एक्सेस पॉआंट) ह।ै आस

    पररयोजना के तहत सम्पूणा दशे में 100,000 से ऄवधक CSCs के नेटिका का वनमााण फकया जाना सवम्मवलत ह।ै

    कायाक्रम स ेसबंवंधत तथ्य

    अकांक्षी वजलों में बदलाि कायाक्रम का लक्ष्य 28 राज्यों (गोिा को छोड़कर) में से प्रत्येक से कम से कम एक वज़ले का चयन करते हुए

    चयवनत 115 वजलों का त्िररत और प्रभािी कायाकल्प करना है।

    कायाक्रम की व्यापक रूपरेखा में समन्िय या कन्िजेन्स (कें द्रीय और राज्य योजनाओं में), सहयोग या कोलैबोरेशन (कें द्रीय, राज्य स्तर

    के 'प्रभारी' ऄवधकारी और वजलावधकाररयों का), और वजलों में जन भागीदारी िारा संचावलत प्रवतस्पधाा (कम्पटीशन) सवम्मवलत ह।ै

    यह ररयल टाआम डेटा पर अधाररत होगा और जन भागीदारी िारा संचावलत होगा।

    आस कायाक्रम में मुख्य संचालक राज्यों को बनाया गया ह।ै आसके ऄवतररक्त, आस कायाक्रम को नीवत अयोग िारा सहायता प्रदान की

    जाएगी।

    वजलों की प्रगवत की वनगरानी करने हतेु चयवनत प्रमुख प्रदशान संकेतक(Key Performance Indicators) वजले के अधार पर

    विवशष्ट होंगे।

    आस ईद्देश्य हतेु 5 क्षते्रों की पहचान की गइ है- स्िास्थ्य एिं पोषण, वशक्षा, कृवष एिं जल संसाधन, बुवनयादी ऄिसंरचना और वित्तीय

    समािेशन एिं कौशल विकास।

    कायाक्रम के तहत ऄवतररक्त/संयुक्त सवचि के स्तर पर "प्रभारी" और नोडल ऄवधकारी के रूप में कें द्रीय और राज्य सरकार के

    ऄवधकाररयों की वनयुवक्त की जाएगी। ये ऄवधकारी कें द्र, राज्य और वजले के मध्य एक सेतु के रूप में काया करेंगें।

    एक वजला स्तर की टीम विवभन्न संकेतकों की ितामान वस्थवत की बेसलाआन ररपोटा तैयार करेगी और ईपलब्ध संसाधनों के अधार पर

    िार्डषक लक्ष्य वनधााररत करेगी।

    कें द्रीय प्रवतवनवध दो महीने में कम से कम एक बार वजले का दौरा कर नीवत अयोग हते ुएक ररपोटा तैयार करेगा। नीवत अयोग आसका

    विश्लेषण करने के बाद वनरकषों को सवचिों की ऄवधकार प्राप्त सवमवत के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

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    1.9. राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान

    (Rashtriya Gram Swaraj Abhiyan)

    सरु्डियों में क्यों?

    प्रधानमंत्री ने 24 ऄप्रैल, 2018 को पंचायती राज फदिस पर पुनगारठत राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान का शुभारम्भ फकया।

    राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान (RGSA) का पररचय

    यह राजीि गांधी पंचायत सशवक्तकरण ऄवभयान का पुनसंरवचत संस्करण है।

    यह कें द्र िारा प्रायोवजत ऄवभयान ह ैवजसका ईद्देश्य ग्रामीण स्थानीय वनकायों को अत्मवनभार, वित्तीय रूप स ेसशक्त तथा ऄवधक दक्ष

    बनाना है।

    o आस योजना के केन्द्रीय घटकों में राष्ट्रीय स्तर की गवतविवधयां जैसे ‘तकनीकी सहायता हतेु राष्ट्रीय योजना’, ‘इ-पंचायत वमशन

    मोड पररयोजना’, ‘पंचायतों को प्रोत्साहन’ अफद सवम्मवलत ह।ै आसे पणूातः कें द्र सरकार िारा वित्त-पोवषत फकया जाएगा।

    o राज्य सबंधंी घटक में पंचायती राज संस्थाओं (PRI’s) का क्षमता वनमााण शावमल ह।ै

    आस योजना को दशे के सभी राज्यों तथा कें द्र शावसत प्रदशेों में लागू फकया जाएगा, तथा आसमें भाग-IX से आतर ईन क्षेत्रों की ग्रामीण

    स्थानीय शासन संस्थाएं भी सवम्मवलत हैं जहां पंचायतों का ऄवस्तत्ि नहीं ह।ै

    आसे मागं-चावलत प्रणाली के ऄंतगात कायाावन्ित फकया जाएगा। आस योजना के ऄंतगात अने िाली गवतविवधयों को NITI अयोग िारा

    चयवनत 115 अकाकं्षी वजलों तथा ऄन्त्योदय ऄवभयान के ऄंतगात चयवनत पंचायतों पर मुख्य बल दतेे हुए सधंारणीय विकास लक्ष्यों

    (SDG) को प्राप्त करन ेहतेु संरेवखत फकया जाएगा।

    यह वनम्नवलवखत पर ध्यान केवन्द्रत करती ह:ै

    o संविधान की भािना तथा PESA ऄवधवनयम के ऄनुसार पंचायतों को ऄवधकार तथा ईत्तरदावयत्िों के हस्तांतरण को प्रोत्साहन

    दनेा।

    o वजन क्षेत्रों में पंचायतों का ऄवस्तत्ि नहीं है, िहााँ लोकतांवत्रक प्रणाली पर अधाररत स्थानीय स्ि-शासन की स्थापना तथा

    सशक्तीकरण।

    o पंचायत प्रणाली के ऄधीन जन-भागीदारी, पारदर्डशता, तथा ईत्तरदावयत्ि के अधारभूत मंच के रूप में प्रभािी रूप से काया करने

    हतेु ग्राम सभाओं का सशवक्तकरण।

    1.10. ऄरुणाचल प्रदशे की वि-स्तरीय पचंायती राज व्यिस्था

    (Arunachal’s 2-Tier Panchayati Raj)

    सरु्डियों में क्यों?

    ऄरुणाचल प्रदशे विधानसभा िारा ऄचंल सवमवत (मध्यिती स्तर) को समाप्त करने और राज्य में वि-स्तरीय पंचायती राज व्यिस्था

    स्थावपत करने के वलए एक विधेयक पाररत फकया गया है।

    वि-स्तरीय पंचायती राज व्यिस्था िाल ेराज्य/कें द्रशावसत प्रदशे

    गोिा, मवणपुर, वसफिम, दादरा एिं नगर हिेली, दमन एिं दीि और लक्षिीप में पंचायतों के मध्यिती स्तर की स्थापना नहीं की गयी ह।ै

    वििरण

    73िें संविधान संशोधन के तहत सभी राज्यों में वत्र-स्तरीय ऄथाात् ग्राम, मध्यिती और वजला स्तर पर पंचायती राज व्यिस्था ऄपनान े

    का प्रािधान फकया गया है। हालााँफक 20 लाख से कम जनसंख्या िाले राज्यों में मध्यिती स्तर पर पंचायतों का गठन ऄवनिाया नहीं ह।ै

    ऄरुणाचल प्रदशे की जनसंख्या 13.84 लाख ह।ै आस प्रकार यह विस्तरीय पंचायती राज व्यिस्था ऄपना सकता ह।ै

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    1.11. इ-विधान वमशन मोड पररयोजना

    (E-Vidhan Mission Mode Project)

    सरु्डियों में क्यों?

    हाल ही में, सरकार की इ-विधान पररयोजना हतेु केन्द्रीय पररयोजना वनगरानी आकाइ के एक निीन कायाालय का ईद्घाटन फकया गया।

    इ-विधान पररयोजना स ेसम्बवंधत तथ्य

    यह भारत में राज्य विधानमंडलों की काया-प्रणाली को कागज़-मुक्त बनाने तथा ईसके वडवजटलीकरण हतेु एक वमशन मोड पररयोजना

    ह।ै

    यह विधानसभा की काया-प्रणाली को पूणातः स्िचावलत बनाने िाली सािाजवनक िेबसाआट, सुरवक्षत िबेसाआट, सदन के एप्लीकेशनों

    तथा मोबाआल एप्स का एक सॉफ्टिेयर समूह ह।ै

    संसदीय काया मंत्रालय, आस पररयोजना हतेु नोडल मंत्रालय ह।ै

    आस पररयोजना के कायाान्ियन हतेु वनर्डमत रणनीवत के मुख्य घटकों में से एक कें द्र तथा राज्य, दोनों ही स्तरों पर पररयोजना वनगरानी

    आकाआयों का वनमााण करना है।

    वहमाचल प्रदशे, इ-विधान िेबसाआट का ईपयोग करने िाला तथा एक मोबाआल ऐप लांच करने िाला प्रथम राज्य बना।

    1.12. इ-ऑफिस

    (E-Office)

    सरु्डियों में क्यों ?

    हाल ही में, कें द्र सरकार िारा 34 मंत्रालयों को ऄपने विभागों में 'इ-ऑफिस' लागू करने के वलए प्रशंसा प्रमाण पत्र प्रदान फकया गया।

    सबंवंधत तथ्य

    इ-क्रावंत: नशेनल इ-गिनेंस प्लान (NeGP) 2.0- नागररकों को आलेक्िॉवनक रूप से सभी सरकारी सेिाओं की ईपलब्धता सुवनवित

    करने के वलए यह वडवजटल आंवडया कायाक्रम के स्तंभों में से एक ह।ै

    इ-क्रांवत कायाक्रम के ऄंतगात 44 वमशन मोड पररयोजनाएाँ शावमल हैं।

    इ-ऑफिस क्या ह?ै

    आस पररयोजना का ईद्देश्य सरकारी कायों को मैन्युऄल से वडवजटल में पररिर्डतत करना है।

    यह इ-क्रावंत: नशेनल इ-गिनेंस प्लान (NeGP) 2.0 के ऄंतगात एक प्रमुख वमशन मोड प्रोजेक्ट (MMP) ह।ै

    प्रशासवनक सुधार और लोक वशकायत विभाग (DAR&PG), इ-ऑफिस पररयोजना के कायाान्ियन हतेु नोडल विभाग है।

    राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र (NIC) आस पररयोजना में तकनीकी भागीदार है।

    1.13. भारतीय प्रवतस्पधाा अयोग (CCI)

    (Competition Commission Of India)

    सवुखयों में क्यों?

    कें द्र सरकार ने CCI में वनयुक्त सदस्यों की संख्या को 7 (एक ऄध्यक्ष तथा छह सदस्य) से कम करके 4 (एक ऄध्यक्ष तथा तीन सदस्य) करन े

    का वनणाय वलया ह।ै

    भारतीय प्रवतस्पधाा अयोग

    आसे CCI ऄवधवनयम, 2002 के तहत स्थावपत फकया गया था। आसके वनम्नवलवखत काया हैं:

    प्रवतस्पधाा पर प्रवतकूल प्रभाि डालने िाली प्रथाओं को ऄिरोवधत करना।

    बाजारों में प्रवतस्पधाा को बढ़ािा देना तथा आसे बनाए रखना।

    ईपभोक्ताओं के वहतों की रक्षा करना।

    भारतीय बाजारों में ऄन्य प्रवतभावगयों िारा फकये जाने िाले व्यापार की स्ितंत्रता को सुवनवित करना।

    2017 में प्रवतस्पधाा ऄपीलीय न्यायावधकरण (COMPAT) को NCLAT (राष्ट्रीय कंपनी कानून ऄपीलीय न्यायावधकरण) में

    सवम्मवलत फकया गया था। ितामान में ऄपीलीय न्यायावधकरण को, भारतीय प्रवतस्पधाा अयोग (CCI) िारा जारी फकए गए फकसी भी

    वनदशे या वनणाय या अदशे के विरुि ऄपीलों को सुनने तथा वनपटाने का ऄवधकार है।

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    1.14. एनऄुल सि ेऑफ़ आंवडयाज वसटी-वसस्टम्स (ASICS), 2017

    (Annual Survey of india’s city-systems, ASICS 2017)

    सरु्डियों में क्यों ?

    हाल ही में, जनाग्रह सेंटर िॉर वसटीजनवशप एंड डेमोके्रसी िारा ASICS, 2017 ररपोटा जारी की गयी। आस ररपोटा के ऄंतगात शहरों में

    ऄवभशासन (गिनेंस) का मूल्यांकन फकया गया ह।ै

    ASICS से सबंवंधत तथ्य

    यह एक िार्डषक शोध ह ैजो शहरी-प्रणावलयों का मूल्यांकन करता ह।ै आसमें मुख्यतः चार ऄतंसबंवंधत पहलओुं जैसे शहरी

    वनयोजन एिं वडजाआन; शहरी क्षमता एिं संसाधन; पारदर्डशता, जबािदहेी एिं भागीदारी; तथा सशक्त एिं िैध राजनीवतक

    प्रवतवनवधत्ि को शावमल फकया जाता ह।ै

    आसका वनरकषा शासन प्रणाली की वस्थवत और गणुित्तापणूा जीिन स्तर प्रदान करन ेकी क्षमता को आंवगत करता ह।ै आसका

    ईद्देश्य शहरी ऄवभशासन में पररितानकारी सुधारों को बढ़ािा दनेा है।

    ररपोटा के वनरकषा

    आस सिेक्षण में पणु े(स्कोर 5.1) शीषा पर ह ैजबफक बंगलौर (स्कोर 3.0) सूची में सबसे वनचले स्थान पर ह।ै

    तुलनात्मक रूप से जोहान्सबगा, लंदन और न्यूयॉका के िैवश्वक बैंचमाका का स्कोर क्रमशः 7.6, 8.8 और 8.8 ह ैजबफक भारतीय शहर

    मुवश्कल से 5.1 (ईच्चतम स्कोर) के स्कोर तक ही पहुाँच पाए हैं।

    1.15. प्रसार भारती

    (Prasar Bharati)

    सरु्डियों में क्यों?

    हाल ही में, प्रसार भारती (PB) ने ऄपने बोडा में एक सेिारत अइएएस ऄवधकारी की वनयुवक्त तथा दरूदशान एिं अल आंवडया रेवडयो

    की समाचार सेिा इकाआयों की ऄध्यक्षता हतेु पेशेिरों की वनयुवक्त से सम्बंवधत सूचना एिं प्रसारण मंत्रालय (I&B) के प्रस्ताि को

    ऄस्िीकृत कर फदया।

    प्रसार भारती स ेसबंवंधत तथ्य

    यह एक सावंिवधक स्िायत्त सािाजवनक प्रसारण एजेंसी है, वजसे 1997 में प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण वनगम)

    ऄवधवनयम,1990 के तहत स्थावपत फकया गया था।

    आसके ऄंतगात दरूदशान टेलीविजन नटेिका और अल आंवडया रेवडयो शावमल हैं, जो आससे पूिा सूचना एिं प्रसारण मंत्रालय के

    भाग थे।

    1.16. िल्डा कौंवसल ऑन वसटी डाटा िारा प्रमाणन

    (World Council on City Data Certification)

    सवुखयों में क्यों?

    चेन्नइ को िल्डा कौंवसल ऑन वसटी डाटा (WCCD) प्रमाणन हतेु ऄवधसूवचत 50 शहरों की सूची में शावमल फकया जाना तय फकया गया ह।ै

    ऄन्य सम्बवंधत तथ्य

    ऄहमदाबाद, पणु,े सूरत तथा जमशदेपरु को पहले ही WCCD से प्रमाणन प्राप्त हो चुका ह।ै

    WCCD, शहरों, ऄंतरराष्ट्रीय संगठनों, कॉपोरेट भागीदारों, तथा वशक्षा जगत के मध्य रचनात्मक साझेदाररयों हतेु िैवश्वक कें द्र ह।ै आन

    साझेदाररयों का ईद्देश्य निाचार, िैकवल्पक भविरय की पररकल्पना करना तथा बेहतर ि ऄवधक वनिास योग्य शहरों का वनमााण

    करना है।

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    विश्व स्तर पर तुलना करने योग्य शहरी अंकड़ों के वलए प्रकावशत, WCCD ISO 37120 प्रमाणन, ऄन्य शहरों के संबंध में, फकसी

    शहर के सामावजक, अर्डथक ि पयाािरणीय वनरपादन को मापने के संकेतकों का एक व्यापक सेट प्रदान करता है।

    ISO 37120-प्रमाणन के पिात,् चेन्नइ को WCCD के िैवश्वक शहरों की रवजस्िी में सवम्मवलत फकया जाएगा।

    1.17. विविध जानकाररयााँ

    (Miscellaneous Titbits)

    हाल ही में, हररयाणा सरकार िारा राज्य में सहकारी वनकायों की वनिााचन प्रफक्रया की दखे-रेख हतेु सहकारी वनिााचन प्रावधकरण की

    स्थापना करने की घोषणा की गयी ह।ै

    हाल ही में भारत को विश्व प्रेस स्ितंत्रता सूचकांक (PFI) में 180 दशेों में से 136िां स्थान प्राप्त हुअ। यह सूचकांक ररपोटासा विदअईट

    बॉडार (Reporters sans Frontiers, RSF) िारा जारी फकया गया था।

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    2. ऄंतरराष्ट्रीय संबंध

    (INTERNATIONAL RELATIONS)

    2.1. ससध ुजल सवंध

    (Indus Water Treaty)

    सरु्डियों में क्यों?

    हाल ही में नइ फदल्ली में भारत और पाफकस्तान के मध्य स्थायी ससधु

    अयोग (Permanent Indus Commission: PIC) की बैठक

    अयोवजत की गइ।

    ऄन्य सबंवंधत तथ्य

    यह PIC की 114िीं बैठक थी। PIC एक विपक्षीय अयोग है,

    जो 1960 में दोनों दशेों िारा हस्ताक्षररत ससधु जल संवध

    (Indus Water Treaty: IWT) के ईपरांत ससधु नदी के जल

    के बंटिारे के मुद्दे का ऄिलोकन करता ह।ै

    पाफकस्तान ने वचनाब बेवसन में ऄिवस्थत भारत की पकल दलु

    (1000 MW), रतल े (Ratle) (850 MW) और लोऄर

    कलनाइ (48 MW) पररयोजनाओं पर सचता प्रकट की है तथा

    दािा फकया ह ैफक ये पररयोजनाएं IWT का ईल्लंघन करती हैं।

    भारत के ऄनुसार आन पररयोजनाओं का प्रारूप संवध के ऄनुसार

    ह।ै भारत का कहना ह ैफक ये रन ऑफ़ द ररिर प्रोजेक््स हैं और

    संवध के ऄंतगात ऐसी पररयोजनाओं के वनमााण की ऄनुमवत

    प्रदान की गइ ह।ै

    यह संवध विश्व बैंक की मध्यस्थता से संपन्न हुइ। हालांफक, IWT

    से सम्बंवधत “वििादों” और “मतभेदों” के संबंध में विश्व बैंक की

    भूवमका फकसी एक दशे ऄथिा दोनों पक्षकारों िारा वनिेदन

    फकए जाने पर कुछ भूवमकाओं के वनिाहन हतेु प्रवतवनवधयों की

    वनयुवक्त करने तक ही सीवमत ह।ै

    2.2. ऄिगावनस्तान िारा तावलबान के समक्ष शावंत प्रस्ताि

    (Afghanistan Makes A Peace Offer To Taliban)

    सरु्डियों में क्यों?

    ऄिगावनस्तान ने तावलबान के समक्ष वबना शता िाताा का प्रस्ताि रखा ह।ै आसके साथ ही आसके िारा िाताा के वलए विद्रोवहयों को एक िैध

    पक्ष के रूप में मान्यता दनेे हतेु समझौते का तथा 16 िषीय युि को समाप्त फकये जाने का प्रस्ताि फदया गया ह।ै

    ऄन्य सबंवंधत तथ्य

    ितामान काबलु पीस प्रॉससे में, ऄिगावनस्तान ने प्रस्ताि रखा ह ै फक युिविराम के बदले में सरकार, तावलबान के सदस्यों को

    "शांवतपणूा और सम्मावनत जीिन", राजनीवतक मान्यता, कैफदयों की ररहाइ, तावलबान के सदस्यों को पासपोटा और ईनके पररिारों को

    िीजा दनेे के साथ ही ईन्हें काबुल में कायाालय हतेु स्थान भी ईपलब्ध कराएगी।

    काबलु पीस प्रॉससे (Kabul Peace Process): यह ऄिगावनस्तान में सुरक्षा और राजनीवतक मुद्दों पर चचाा हतेु भारत, EU, UN

    और NATO सवहत 23 दशेों का एक सम्मेलन है।

    2.3. राष्ट्रमडंल शासनाध्यक्षों की बठैक (चोगम)

    (Commonwealth Heads of Goverment Meet: CHOGM)

    सरु्डियों में क्यों?

    हाल ही में लन्दन में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम), 2018 संपन्न हुइ वजसकी थीम “टुिर्डसा ए कॉमन फ्यूचर” थी।

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    ऄन्य सबंवंधत तथ्य

    चोगम, राष्ट्रमंडल (कॉमनिेल्थ) दशेों के राज्य प्रमुखों की एक वििार्डषक बैठक है।

    आस बैठक के चार प्रमुख लक्ष्य वनम्नवलवखत थे:

    o समवृि (Prosperity): राष्ट्रमंडल दशेों के मध्य व्यापार और वनिेश को बढ़ािा दनेा।

    o सरुक्षा (Security): िैवश्वक अतंकिाद, संगर�


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